जो बाइडन: क्यों सवाल खड़े हो रहे हैं बाइडेन के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर

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जो बाइडन की मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं.

जो बाइडन की मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं.

जो बाइडन: क्यों सवाल खड़े हो रहे हैं बाइडेन के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर

डोनल्ड ट्रंप और जो बाइडन के बीच राष्ट्रपति पद की हुई डिबेट में बाइडन के खराब प्रदर्शन के बाद उनको कॉग्निटिव टेस्ट कराए जाने की मांग हो रही है. कॉग्निटिव टेस्ट ये जांचता है कि उस इंसान का दिमाग कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है. आइए जानते हैं कि कॉग्निटिव टेस्ट में किस तरह से सवाल पूछे जाते हैं और मेंटली अनफिट होने पर क्या राष्ट्रपति को हटाया जा सकता है.

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में उम्र और मेंटल हेल्थ एक बड़ा मुद्दा बन गया है. पिछले महीने हुई जो बाइडन और डोनल्ड ट्रंप की डिबेट के बाद बाइडन को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से हटाने के साथ-साथ उनके कॉग्निटिव टेस्ट कराए जाने की मांग बढ़ रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कॉग्निटिव टेस्ट आखिर होता क्या है और अगर बाइडन टेस्ट में फेल होते हैं तो क्या होगा.

81 साल के जो बाइडन अमेरिकी इतिहास में सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति हैं. अगर विपक्षा नेता डोनाल्ड ट्रम्प, 78, चुनाव जीतते हैं तो वो अमेरिकी इतिहास के दूसरे सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति होंगे. ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने हाल ही में एक कॉग्निटिव टेस्ट लिया था जिसमें उनका काफी अच्छा स्कोर आया. वहीं, एबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में बाइडन ने कहा कि उनका काम इस तरह का है कि वो एक तरह से रोजाना कॉग्निटिव टेस्ट लेते हैं.

क्या होता है कॉग्निटिव टेस्ट, इसमें किस तरह के सवाल आते हैं?

कॉग्निटिव टेस्ट ये जांचता है कि उस इंसान का दिमाग कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है. इससे किसी विशेष बीमारी का पता नहीं चलता. टेस्ट से ये बात साफ होती है कि क्या उस इंसान को और किसी ब्रेन टेस्ट की जरूरत है या नहीं.

कॉग्निटिव टेस्ट में डाॅक्टर पेशेंट से कुछ सवाल पूछते हैं. इसमें केवल मैथ्स या साइंस से संबंधित सवाल नहीं पूछे जाते. टेस्ट का असली मकसद पेशेंट के दिमाग के नई जानकारी को प्रोसेस करने और याद रखने की क्षमता कैसी है.

टेस्ट लेने के अलग-अलगी तरीके होते हैं. इसके लिए डाॅक्टर कोई कहानी सुनाकर, उसमें से कोई सवाल पूछ सकता है. कुछ डाॅक्टर एक विशिष्ट अक्षर से शुरू होने वाली चीजों और जगहों के नाम बताने के लिए कहते हैं. टेस्ट के बाद डाॅक्टर पेशेंट को उसके सोचने, सीखने, याद रखने और ध्यान देने जैसी कॉग्निटिव एबिलिटी पर स्कोर देते हैं.

अच्छे स्कोर के बाद भी उठ सकते हैं सवाल

अमेरिका के कई बड़े डाॅक्टर्स का मानना है कि बाइडन का बहस के दौरान जैसा व्यवहार था- बोलते हुए रुक जाना, भावहीन चेहरा और अस्पष्ट वाक्य – उसके बाद उन्हें कॉग्निटिव टेस्ट लेना चाहिए. हालांकि, टेस्ट में अच्छे स्कोर के बाद भी सवाल उठने जारी रह सकते हैं.

cleveland clinic की रिपोर्ट के मुताबिक, अच्छे स्कोर का मतलब यह नहीं है कि पेशेंट को दिमाग संबंधी कोई परेशानी नहीं है. एक्सपर्ट्स की राय है कि केवल एक ब्रेन टेस्ट से इंसानी दिमाग के स्वास्थ्य का पूरा आकलन नहीं किया जा सकता.

क्या टेस्ट में फेल होने पर बाइडन को राष्ट्रपति पद से हटाया जा सकता है?

जो बाइडन ने फिलहाल किसी भी ब्रेन टेस्ट को लेने से इनकार किया है. लेकिन अगर वो टेस्ट लेते हैं और उसमें चिंताजनक स्कोर लाते हैं, तो ऐसी स्थिति में क्या होगा? अमेरिका के संविधान में सीधे तौर पर राष्ट्रपति के दिमागी स्वास्थ्य का कोई जिक्र नहीं है. हालांकि, संविधान के 25वें संशोधन में यह कहा गया है कि अगर राष्ट्रपति अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है, तो उपराष्ट्रपति को एक्टिंग प्रेसिडेंट बनाया जा सकता है.

पिछले महीने हुई राष्ट्रपति बहस में बाइडन के खराब प्रदर्शन के बाद, कुछ विपक्षी नेताओं ने उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों से इस संशोधन की धारा 4 को लागू करने का आह्वान किया था. धारा 4 में कहा गया है कि यदि उपराष्ट्रपति और कैबिनेट या कांग्रेस का बहुमत यह मानता है कि राष्ट्रपति ‘अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है’ तो उपराष्ट्रपति के पास राष्ट्रपति की शक्तियां और जिम्मेदारी आ जाएगी. आज तक मानसिक हालात के मामले में इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है.

 

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