Flood And Heavy Rains: वायनाड जल प्रलय में 116 लोगों की मौत, UNICEF का दावा- साउथ एशिया में 60 लाख बच्चों पर है संकट

Flood And Heavy Rains

UNICEF ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि साउथ एशिया के देशों में बाढ़ और भारी बारिश से जुड़े खतरों के चलते 60 लाख बच्चों का जीवन संकट में है. इनमें से कई रिलीफ कैंप में हैं.

Flood in South Asia: केरल के वायनाड में लगातार बारिश के कारण हुए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी है. अब तक इस भूस्खलन के कारण 116 लोगों की मौत हो गई है और सेंकड़ों लोग घायल हो गए हैं. इसी घटना के बीच UNICEF की एक रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसने भारी बारिश और बाढ़ को लेकर भयानक दावे किए हैं. UNICEF का दावा है कि सिर्फ साउथ एशिया में ही लगभग 60 लाख बच्चे बाढ़ और भारी बारिश के चलते खतरे में हैं.

UNICEF के मुताबिक इन बच्चों और उनके परिवारों ने या तो इस भीषण प्राकृतिक संकट के चलते अपना आसरा गंवा दिया है या ये अपने इलाकों में जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. UNICEF के मुताबिक ये लोग अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान में रहते हैं. UNICEF के मुताबिक अब तक नेपाल में बाढ़ के कारण 109 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 35 बच्चे हैं. वहीं नेपाल के 1580 परिवारों पर भारी बारिश और बाढ़ का असर पड़ा है.

मानसून के चलते अब भी खतरे में लाखों बच्चे

रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश में मूसलाधार बारिश और उसके बाद आई बाढ़ से देश के उत्तरी और उत्तरपूर्वी क्षेत्रों लाखों बच्चों पर संकट मंडरा रहा है. UNICEF की रिपोर्ट में भारत का जिक्र भी किया गया है. बताया गया है कि असम में हाल ही में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी. इसके चलते 50 हजार से ज्यादा बच्चों और उनके परिवारों पर असर पड़ा था. इस दौरान 8 हजार बच्चों को रिलीफ कैंप में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.

भारत में अभी मानसून चल रहा है, ऐसे में कई अन्य इलाकों में बाढ़ या भारी बारिश के कारण अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना हुआ है. पूर्वोत्तर के बाद अब दक्षिण भारत से भी डराने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. केरल के वायनाड में भीषण लैंडस्लाइड के चलते 117 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

अफगानिस्तान-पाकिस्तान पर भी मंडरा रहा खतरा

UNICEF की रिपोर्ट में अफगानिस्तान के पूर्वी इलाके में बाढ़ के कारण हुई 58 लोगों की मौत का जिक्र भी किया गया. साथ ही बताया गया कि देश के पूर्वी राज्यों में हजारों बच्चों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. रिपोर्ट में पाकिस्तान का जिक्र भी किया गया है, जहां 74 बच्चों समेत 124 लोगों की मौत अप्रैल के बाद से भारी बारिश और बाढ़ के कारण हो गई है. UNICEF का कहना है कि यहां पर अभी भी मानसून के कारण बाढ़ का भारी खतरा मंडरा रहा है.

अब बदलेगा केरल का नाम-विधानसभा में केरल का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित

अब बदलेगा केरल का नाम

                                                                   केरल विधान सभा

केरल विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया और केंद्र से राज्य का नाम आधिकारिक तौर पर बदलकर ‘केरलम’ करने का आग्रह किया। विधानसभा ने दूसरी बार प्रस्ताव पारित किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पहले प्रस्ताव की समीक्षा की थी और कुछ तकनीकी बदलावों का सुझाव दिया था।

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मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने केंद्र से देश के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में दक्षिण राज्य का नाम केरल से ‘केरलम’ करने की मांग की। प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मलयालम में राज्य को ‘केरलम’ कहा जाता है और मलयालम भाषी समुदायों के लिए एकीकृत केरल बनाने की मांग राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम के समय से ही जोरदार तरीके से उठी थी। लेकिन संविधान की पहली अनुसूची में हमारे राज्य का नाम केरल लिखा हुआ है। यह विधानसभा केंद्र से अनुरोध करती है कि संविधान के अनुच्छेद तीन के तहत इसका नाम बदलकर केरलम किया जाए। यह विधानसभा संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित सभी भाषाओं में इसका नाम बदलकर केरलम करने का अनुरोध करती है।

अब बदलेगा केरल का नाम

यह दूसरी बार था जब राज्य विधानसभा ने राज्य के नाम में बदलाव की मांग कते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। विधानसभा सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक, सदन ने पिछले साल अगस्त में भी सर्वसम्मति से ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया था और इसे केंद्र को सौंपा था। लेकिन केंद्रीय गृहमंत्रालय ने इसमें कुछ तकनीकी बदलावों का सुझाव दिया था।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पहले के प्रस्ताव में कुछ बदलावों की जरूरत है। प्रस्ताव को सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ दोनों के सदस्यों ने स्वीकार किया। यूडीएफ विधायक एन शम्सद्दीन ने प्रस्ताव में कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया, जिन्हें सरकार ने खारिज किया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ए.एन शमसीर ने इसे सर्वसम्मति से पारित घोषित किया।

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