क्या कहा पीएम मोदी ने मिनी कॉन्स्टीट्युशन के बारे में…

क्या कहा पीएम मोदी ने मिनी कॉन्स्टीट्युशन के बारे में…

 

चुनाव प्रचार से लेकर संसद तक संविधान बचाने की कांग्रेस की दावे को ध्वस्त करते हुए प्रधानमंत्री ने उसे संविधान की सबसे विरोधी करार दिया है। प्रधानमंत्री ने साफ किया कि संविधान बचाने के नाम पर पहली बार चुनाव का कांग्रेस का दावा गुमराह करने वाला है और असल में 1977 का चुनाव इस मुद्दे पर लड़ा गया था, जिसमें कांग्रेस की करारी हार का सामना करना पड़ा।

 

संविधान पर बुलडोजर किसने चलाया?

उन्होंने कहा कि यदि इस बार का चुनाव संविधान की रक्षा के नाम पर भी था, तो जनता ने इसके लिए हमें ही योग्य समझा है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में चर्चा के जवाब के दौरान विपक्षी नेताओं के वाकआउट पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि उनमें सत्य का मुकाबला करने का हौसला भी नहीं बचा है।

आपातकाल के दौरान हुए दमन को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने विस्तार से बताया कि इस दौरान किस तरह से संविधान पर बुलडोजर चला दिया गया था। लोकसभा का कार्यकाल पांच साल का होता है, लेकिन आपातकाल के दौरान इसे सात साल तक चलाया गया। यही नहीं, इस दौरान 38वें, 39वें और 42 संशोधन कर संविधान की आत्मा को छिन्न-भिन्न कर दिया गया। इन तीनों संशोधनों को मिनी कांस्टीट्यूशन कहा जाता था।

तुर्कमान गेट, मुजफ्फरनगर में अल्पसंख्यकों के साथ क्या हुआ था?

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को संविधान की रक्षा की बात शोभा नहीं देती है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने आपातकाल के दौरान प्रताडि़त होने के बावजूद कांग्रेस के साथ खड़े विपक्षी दलों के नेताओं को भी आड़े हाथों लिया।

आपातकाल के दौरान तुर्कमान गेट और मुजफ्फरनगर में अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचार की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं को इस बोलने की हिम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी तानाशाही को सही कहने वाले लोग आज संविधान की प्रति लेकर अपने काले कारनामे को छुपाने की शर्मनाक कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए संविधान अनुच्छेदों का संकलन मात्र नहीं है, बल्कि इसकी आत्मा और शब्द भी मूल्यवान हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि आपातकाल के बाद मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान भी कांग्रेस संविधान की धज्जियां उड़ाती रही। उन्होंने कहा कि संविधान में प्रधानमंत्री का पद सरकार का सर्वोच्च पद है। लेकिन संविधान में प्रविधान नहीं होने के बावजूद प्रधानमंत्री के ऊपर सोनिया गांधी के नेतृत्व में नेशनल एडवाइजरी कौंसिल (एनएसी) को बिठा गया गया।

 

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संविधान के किस प्रविधान के तहत फाड़ा गया कैबिनेट नोट?

सांसद रहते हुए राहुल गांधी द्वारा मनमोहन सिंह सरकार की कैबिनेट नोट फाड़ने जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आखिर कैबिनेट नोट फाड़ने का अधिकार संविधान के किस प्रविधान के तहत किया गया। यही नहीं, सरकार में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर सभी पदों पर बैठे लोगों की वरीयता का लिखित प्रोटोकाल है। लेकिन संविधान की मर्यादा का उल्लंघन कर गांधी परिवार के लोगों को प्रोटोकाल में प्राथमिकता दी जाती रही।

प्रधानमंत्री मोदी ने सीटें कम होने पर उन्हें एक तिहाई प्रधानमंत्री बताने के कांग्रेस नेता जयराम रमेश पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि इसके हिसाब के अभी तक उनका 10 साल का कार्यकाल सिर्फ एक तिहाई ही पूरा हुआ है और दो तिहाई यानी 20 साल कार्यकाल अभी बाकी है। उन्होंने अपने-आप भारतीय अर्थव्यवस्था के दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने के पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम के दावे पर भी तंज कसा।

कांग्रेस के लिए परजीवी युग शुरू

प्रधानमंत्री ने सहयोगी दलों के सहारे अधिक सीटें जीत का हवाला देते हुए कहा कि झूठ और फर्जी वीडियो जैसे पाप करने के बाद भी कांग्रेस जनता का भरोसा जीतने में विफल रही और उसका परजीवी युग शुरू हो चुका है।

प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरूपयोग के विपक्ष के आरोपों पर भी करारा जवाब दिया। उन्होंने विपक्षी दलों पर एजेंसियों को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए इनके दुरुपयोग पर विपक्ष के विरोधाभास को उजागर किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और वामपंथी दल दिल्ली में एक मंच पर एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हैं, वहीं केरल में कांग्रेस ईडी और सीबीआइ से मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की मांग करती है।

आप करे घोटाला, कांग्रेस करे शिकायत और गाली दें मोदी को

उन्होंने कहा कि दिल्ली में आप सरकार के दौरान हुए घोटालों की जांच के लिए पुलिस में शिकायत और कोर्ट में याचिका दाखिल करने का काम कांग्रेस के नेताओं ने किया और जब कार्रवाई हो रही है तो गाली उन्हें दी जा रही है। उन्होंने कांग्रेस को अपने नेताओं द्वारा आप नेताओं पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों और दिये गए साक्ष्यों की सच्चाई स्वीकार करने की चुनौती दी।

उन्होंने 2013 में सपा नेता मुलायम सिंह यादव और प्रकाश करात के बयान और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए बताया कि असल में एजेंसियों का दुरूपयोग कांग्रेस के शासन में होता है और उन्होंने एजेंसियों को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई की खुली छूट दे दी है। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को अपना मिशन बताया।

 

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